Death is forever
So don't flirt with suicide
Death is painful
Stay away from knives
Death is not for lovers
So don't lie
Death is not for me
So don't even try
Death is clever
So be careful
Death is never fun
Stay away from strangers
Death is never pleasing
So don't get caught up in the hype
Death is never fair
So get use to it
Death is always occurring
So don't ignore it
Death is never what you expected
Sorry but it has to happen
Death is not for you
Please don't give up
Death is forever
Don't forget it
Monday, November 17, 2008
Saturday, November 1, 2008
Robert Frost's Poem
TWO roads diverged in a yellow wood,
And sorry I could not travel both
And be one traveler, long I stood
And looked down one as far as I could
To where it bent in the undergrowth; 5
Then took the other, as just as fair,
And having perhaps the better claim,
Because it was grassy and wanted wear;
Though as for that the passing there
Had worn them really about the same, 10
And both that morning equally lay
In leaves no step had trodden black.
Oh, I kept the first for another day!
Yet knowing how way leads on to way,
I doubted if I should ever come back. 15
I shall be telling this with a sigh
Somewhere ages and ages hence:
Two roads diverged in a wood, and I—
I took the one less traveled by,
And that has made all the difference.
- Robert Frost
And sorry I could not travel both
And be one traveler, long I stood
And looked down one as far as I could
To where it bent in the undergrowth; 5
Then took the other, as just as fair,
And having perhaps the better claim,
Because it was grassy and wanted wear;
Though as for that the passing there
Had worn them really about the same, 10
And both that morning equally lay
In leaves no step had trodden black.
Oh, I kept the first for another day!
Yet knowing how way leads on to way,
I doubted if I should ever come back. 15
I shall be telling this with a sigh
Somewhere ages and ages hence:
Two roads diverged in a wood, and I—
I took the one less traveled by,
And that has made all the difference.
- Robert Frost
पथ की पहचान
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
पुस्तकों में है नहीं
छापी गई इसकी कहानी
हाल इसका ज्ञात होता
है न औरों की जबानी
अनगिनत राही गए
इस राह से उनका पता क्या
पर गए कुछ लोग इस पर
छोड़ पैरों की निशानी
यह निशानी मूक होकर
भी बहुत कुछ बोलती है
खोल इसका अर्थ पंथी
पंथ का अनुमान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
यह बुरा है या कि अच्छा
व्यर्थ दिन इस पर बिताना
अब असंभव छोड़ यह पथ
दूसरे पर पग बढ़ाना
तू इसे अच्छा समझ
यात्रा सरल इससे बनेगी
सोच मत केवल तुझे ही
यह पड़ा मन में बिठाना
हर सफल पंथी यही
विश्वास ले इस पर बढ़ा है
तू इसी पर आज अपने
चित्त का अवधान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
है अनिश्चित किस जगह पर
सरित गिरि गह्वर मिलेंगे
है अनिश्चित किस जगह पर
बाग वन सुंदर मिलेंगे
किस जगह यात्रा खतम हो
जाएगी यह भी अनिश्चित
है अनिश्चित कब सुमन कब
कंटकों के शर मिलेंगे
कौन सहसा छू जाएँगे
मिलेंगे कौन सहसा
आ पड़े कुछ भी रुकेगा
तू न ऐसी आन कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
---Harivansh Rai Bachchan.
पुस्तकों में है नहीं
छापी गई इसकी कहानी
हाल इसका ज्ञात होता
है न औरों की जबानी
अनगिनत राही गए
इस राह से उनका पता क्या
पर गए कुछ लोग इस पर
छोड़ पैरों की निशानी
यह निशानी मूक होकर
भी बहुत कुछ बोलती है
खोल इसका अर्थ पंथी
पंथ का अनुमान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
यह बुरा है या कि अच्छा
व्यर्थ दिन इस पर बिताना
अब असंभव छोड़ यह पथ
दूसरे पर पग बढ़ाना
तू इसे अच्छा समझ
यात्रा सरल इससे बनेगी
सोच मत केवल तुझे ही
यह पड़ा मन में बिठाना
हर सफल पंथी यही
विश्वास ले इस पर बढ़ा है
तू इसी पर आज अपने
चित्त का अवधान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
है अनिश्चित किस जगह पर
सरित गिरि गह्वर मिलेंगे
है अनिश्चित किस जगह पर
बाग वन सुंदर मिलेंगे
किस जगह यात्रा खतम हो
जाएगी यह भी अनिश्चित
है अनिश्चित कब सुमन कब
कंटकों के शर मिलेंगे
कौन सहसा छू जाएँगे
मिलेंगे कौन सहसा
आ पड़े कुछ भी रुकेगा
तू न ऐसी आन कर ले।
पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
---Harivansh Rai Bachchan.
Subscribe to:
Posts (Atom)